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लेखनी कहानी -05-Mar-2023 एक अजनवी से मुलाकात

एक अजनवी से मुलाकात
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सदियौ बाद एक अजनवी से  मुलाकात होगयी।
आँखौ ही आँखौ में उससे मेरी बात भी होगयी।।
साथ बिताये हुए वह अविरल पल यौही याद आगये।
ऐसा महसूस हुआ कि जैसे हम फिरसे पास आगये।।
उनका हमसे नाराज होकर रूठना भी जायज ही था।
उनको हमने आज  तक अपना  समझा ही कब था।।
उनकी हर शिकायत  मुहब्बत की गवाही देरही थी।
हमें ऐसा महसूस हुआ जैसेहमें बेवफा कह रही थी।।
जिन्दगी आज मुझे एक अजनवी मोड़ पर लेआई है।
जैसे मेरा नाम  वहाँ लिखाकर दौड़कर चलीआई है।।
मै आज भी उनसे आँख चुराकर दूर जाना चाहता था।
मै अजनवी बनकर ही उनसे प्यार निभाना चाहता था।।
ये प्यार का जज्बा भी न जाने क्या गुल  खिला देता है।
कुछ अजनवी चेहरौ को ही हमारा  महबूब बना देता है।।आज उनकी याद मेरी आँखें फिरसे भिगोने लगी है।
काश तुम फिरसे अजनवी बनजाओ कितना अच्छा होगा।।
हम तुम्हारी याद की तन्हाईयौ में ही रोकर जी लेंगे।
हमे कोई वेबफा कहता रहे फिर भी हम सब सह लेंगे।।

आज की दैनिक काब्य प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचोरी "

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6 Comments

Renu

07-Mar-2023 05:00 PM

👍👍💐

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Sant kumar sarthi

06-Mar-2023 11:49 AM

सुंदर

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shahil khan

05-Mar-2023 09:52 PM

nice

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